Witr Ki Namaj
वित्र की नमाज़
एक सहाबी हज़रात आयशा र. अ. से पूछ कि नबी स. अ. वित्र की नमाज़ में कौन कौन सी सूरतें पढ़ते थे तो उन्होंने फ़रमाया कि नबी स. अ. पहली रकात में सूरह आला ( सब्बिहिस्मा रब्बिकल आलल लज़ी ) दूसरी रकात में सूरह काफिरून ( कुल या अय्युहल काफिरून ) तीसरी रकात में सूरह इखलास ( कुल हवाल लाहू अहद ) और कभी सूरह फलक और सूरह नास भी पढ़ते थेनमाज़े वित्र कैसे पढ़ें
वित्र की तीन रकातें हैं दो रकातें पढ़ कर बैठ जाये और फिर अत्ताहिय्यात पढ़ कर खड़ा हो जाये फिर सूरह फातिहा और कोई सूरत पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कर हाथ कन्धों तक उठए और फिर हाथ बाँध ले और दुआए क़ुनूत पढ़े
सबसे पहले नियत करें इस तरह
नियत की मैंने 3 रकात नमाज़ वाजिब वित्र की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर कह कर नियत बाँध लें |
वित्र की पहली रकात
- सबसे पहले आप सना पढ़ें
- अब सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें |
- अब आप क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें |
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें |
वित्र की दूसरी रकात
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें|
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें |
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है |
जब आप मुकम्मल तरीके से बैठ जाएँ तो अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत ऊँगली को उठायें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ |
वित्र की तीसरी रकात
तीसरी रकात में भी सबसे पहले आप तस्मियाँ यानि बिस्मिल्लाहहिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें इसके बाद सूरह फातिहा यानि के अल्हम्दुलिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें |
यहाँ आप रुकू में ना जाएँ बल्कि अल्लाहु अकबर कहते हुवे अपने दोनों हांथों को कानो के लॉ तक ले जाएँ और फिर अपने नाफ के निचे बाँध लें |
हाँथ बाँधने के बाद एक मर्तबा आप दुआ ए क़ुनूत पढ़ें |
Duae Qunut
अल्लाह हुम्मा इन्नी नस्तइनुका व नस्तगफेरुका व नुमेनु बिका वना तवक्कलू अलैका व नुस्नी अलैकल खैर व नश कुरुका वला नक्फुरुका व नाख्लओ व नतरुकू मई यफजुरुका अल्लाहहुम्मा ईयका नाअबुदू वलक नुसल्ली व नसजुदू व इलैका नसह़ा व नहफेदु व नरजू रहमतक व नख्शा अज़ाबक इन्ना अज़ाबक बिल कुफफारी मूलहिक़
(ए अल्लाह ! हम तुझ से मदद चाहते हैं और तुझ से ही बख्शीश मांगते हैं और तुझ पर ईमान लाते हैं और तुझ पर भरोसा रखते हैं और तेरी बहुत अच्छी तारीफ़ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी न शुक्री नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं उस शख्स को जो तेरी नाफ़रमानी करे ए अल्लाह हम तेरी इबादत करते हैं और तेरे लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं और सजदा करते हैं और तेरी ही तरफ दौड़ते और खिदमत के लिए हाज़िर होते हैं और तेरी रहमत के उम्मीदवार हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं बेशक तेरा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है)
अगर दुआए क़ुनूत याद न हो तो ये दुआ पढ़ लिया करे
रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतौ वाफिल आखिरति हसनतौ वाकिना अज़ाबन नार
अगर ये भी याद न हो तो
अल्लाहुम्मग फिरली तीन बार कह ले
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें |
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें |
- सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत के ऊँगली को उठायें |
- उसके बाद एक मर्तबा दरूद शरीफ(Durude Ibrahim) पढ़ें |
- उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें |
● अगर तीसरी रकात में दुआए क़ुनूत पढना भूल जाये और रुकू में चला जाये तब याद आया तो दुआए क़ुनूत न पढ़े बल्कि नमाज़ के ख़त्म पर सजदा सहव करले आयुर अगर रुकू छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और दुआए क़ुनूत पढ़ ली तब भी नमाज़ हो गयी लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए और सजदा सहव इस सूरत में भी वाजिब है
■ Witr Me Jo Bhi Aayat Aay Ho Padh Sakte Hai
■ Agar Duaae Kunut Yaad Na Ho To Koi Bhi Dua Padh Sakte Hai (Rabba Aatena Fidduniya....)
■हदीस
हज़रात इब्ने उमर र.अ. से रिवायत है कि नबी स. अ. ने फ़रमाया : रात में अपनी आखिरी नमाज़ वित्र ( Witr Ki Namaaz ) बनाओ
■Witr 3 Raqat Namaj Wajib Namaj Hai
■Witr Chhodna Gunah Hota Hai
■Witr Namaj Jamaat Se Padh Sakte Hai
■ वित्र की नमाज़ का वक़्त ईशा से लेकर सुबह सादिक से पहले तक है लेकिन बेहतर ये है कि उसको तहज्जुद के बाद पढ़ा जाये लेकिन अगर रात को उठने में शक हो तो ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ लेनी चाहिए
■दुआए कुनूत हर शख्स चाहे इमाम हो या मुकतदी या अकेला हमेशा पढ़े अदा हो या क़ज़ा । रमज़ान में हो या दूसरे दिनों में
■वित्र के सिवा और किसी नमाज़ में कुनूत न पढ़े | हां अलबत्ता अगर मुसलमानों पर कोई बड़ा हादसा वाकेअ हो तो फ़ज़्र की दूसरी रकअत में रुकूअ से पहले दुआए कुनूत पढ़ सकते हैं । इस को कुनूते नाज़िला कहते हैं
■वित्र की नमाज़ –
वित्र की नमाज़ वाजिब है अगर किसी वजह से वक़्त में वित्र नही पढ़ा तो क़ज़ा वाजिब है | वित्र का वक़्त ईशा से सुबह सादिक तक रहता है | वित्र का अफज़ल वक़्त रात के आखरी वक़्त यानी जिस वक़्त तहज्जुद पढतें है |अगर नींद का गलबा हो,रात के आखरी वक़्त
■अगर दुआ ए क़ुनूत भूल जाये और रुकू में याद आये तो न रुकू में पढ़े न क़याम की तरफ लौट कर खड़े होकर पढ़े बल्कि आखिर में सजदा सहु कर ले नमाज़ हो जाएगी |
■वित्र की तीनों रकातों में मुतलकन क़रात फ़र्ज़ है और हर रकात में सुरह फ़ातिहा पढना वाजिब है |